एक मोती क्या टूटा जो उस माल से...
एक मोती क्या टूटा जो उस माल से
हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी
एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी
तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर
त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी
लौट के आ समय पर समय कह रहा
फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई
था जो कमजोर झटके में टूटा यहाँँ
जोड़ कर गाँठ अब उसमें पड़ ही गयी
कौन रुकता यहाँँ है किसी के लिए
सोच उसकी भी आगे निकल ही गई
तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
चित्र साभार pixabay से.....
टिप्पणियाँ
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी
तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर
त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी
सुन्दर रचना.....
बहुत सुंदर रचना।
वक़्त रूकता नहीं किसी के लिए
वक़्त की ये सीख ऐ काश
कि वक़्त पर समझ आती।
फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई
बहुत खूब !!
सुन्दर सृजन सुधा जी !
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
सुधा दी,जो लोग किसी के जाने के बाद भी नए सिरे से जिंदगी जीना शरू करते है वे ही जिंदगी में खुश रह पाते है। बहुत सुंदर रचना।
हार्दिक धन्यवाद आपका।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सस्नेह आभार।
पांच लिंको का आनन्द, मंच पर मेरी रचना साझा करने हेतु।
सादर आभार।
आज कुछ सीख,जरूर मिल गई
जब सोच खुद की ही बदलने लग गयी
जिसने गम को भी लगाया था खूबसूरती से दिल में
आज वह गम भी कही आसमां में खो गयी
गम है उस नादान परिंदे के जाने का
पर आस में हूँ कि वह फिर लौट आए।
सादर
स्वयं को तू कितना भी रिक्त मान यहां
सोच उसकी भी आगे निकल ही गई
तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
बहुत सुंदर सृजन 🌹🙏🌹
सोच उसकी भी आगे निकल ही गई
तेरे जाने का गम तो बहुत था मगर
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
वाह बेहतरीन रचना सखी 👌
लौट के आ समय पर समय कह रहा
फिर न कहना कि मेरी जगह हिल गई..
एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी
तुम गये जो घरोंदा ही निज त्याग कर
त्यागने की तुम्हें फिर वजह मिल गयी
वाह!
क्या बात!! 💐
एक मोती क्या टूटा जो उस माल से
हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी
एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी..गहरी सम्वेदना से भरी लाजवाब अभिव्यक्ति..
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
बहुत सुंदर सृजन 👍
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी
कुछ बुरा होता है तो उसके पीछे कुछ अच्छी बात हो ही जाती है
वाह!! बहुत ही सुंदर भवपूर्ण रचना,सादर नमन सुधा जी
बहुत ही सुंदर कविता |हार्दिक शुभकामनायें
जिन्दगी को अलग ही डगर मिल गई
प्रिय सुधा जी , आपकी ये रचना बहुत पहले पढ़ ली थी पर अज्ञात कारणों से लिख ना पायी | बहुत ही भावपूर्ण और अलग तरह की सम्पूर्ण रचना है | संभवतः जीवन की परिवर्तनशीलता का सटीक अन्वेषण करती हुई | अक्सर हम जिस चीज को खोने से डरते हैं उसे खोकर अंततः उसके मोह से मुक्त होकर जीवन में अपार सुकून पाते हैं | इसी दर्शन को उकेरती रचना के लिए ढेरों शुभकामनाएं|
हर इक मोती को खुलकर जगह मिल गयी
एक पत्ता गिरा जब किसी डाल से
नयी कोंपल निकल कर वहाँ खिल गयी,////
आज एक बार फिर पढ़कर निहाल हूं सुधा जी। बहुत ही प्यारी, अनमोल रचना है 🙏💐🌷❤️
खूबसूरती से लिखा आपने ।