आराम चाहिए......
आज हर किसी को आराम चाहिए
न हो हाथ मैले,न हो पैर मैले....
ऐसा अब कोई काम चाहिए....
बिन हिले-डुले कुछ नया कर दिखायेंं !!
हाँ ! सुर्खियों में अपना अब नाम चाहिए
आज हर किसी को आराम चाहिए.....
मुश्किलें तो नजर आती हैं सबको बड़ी-बड़ी,
स्वयं कुछ कर सकें, ऐसी हिम्मत नहीं पड़ी ।
सब ठीक करने वाला, अवतारी आये धरा पर,
नरतनधारी कोई "श्रीकृष्ण या श्रीराम" चाहिए !!
आज हर किसी को आराम चाहिए.........
बच्चों को दिखाते हैं, ये अन्तरिक्ष के सपने !
जमीं में नजर आये न इनको कोई अपने
जमींं में रखा क्या, मिट्टी से है घृणा .....
पर घर में भरे अन्न के गोदाम चाहिए !!
आज हर किसी को आराम चाहिए.........
माँ-बाप मुसीबत लग रहे हैंं इनको आज ,
कटी पतंग सा उड़ रहा है अब समाज ।
दो शब्द बड़ों के चुभते है शूल से !
मेहनत करें भी कैसे,नाजुक हैं फूल से....?
आज को यूँ ही गवां रहे तो क्या....?
"कल मिलेगी हर खुशी" ये इन्तजाम चाहिए !!
आज हर किसी को आराम चाहिए........
चित्र-साभार गूगल से...
टिप्पणियाँ
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
नाज़ुक हैं हाथ-पैर तो आराम दीजिए .
सराहना से परे।
सादर
बच्चों को दिखाते हैं, ये अन्तरिक्ष के सपने !
जमीं में नजर आये न इनको कोई अपने
जमींं में रखा क्या, मिट्टी से है घृणा .....
पर घर में भरे अन्न के गोदाम चाहिए !!
आज हर किसी को आराम चाहिए........बहुत ही यथार्थपूर्ण सार्थक रचना की है आपने सुधा जी । बधाई हो 💐💐
बहुत सुंदर रचना।
अत्यंत आभार एवं धन्यवाद आपका ।
सस्नेह आभार।
तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
बहुत सुंदर सृजन सुधा जी ।