दो दिन की हमदर्दी में, जीवन किसका निभ पाया....
जाने इनके जीवन में ,
ये कैसा मोड आया,
ये कैसा मोड आया,
खुशियाँँ कोसों दूर गयी
दुख का सागर गहराया ।
कैसे खुद को संभालेंगे
सोच के मन मेरा घबराया ।
आयी है बसंत मौसम में,
हरियाली है हर मन में ।
पतझड़ है तो बस इनके,
इस सूने से जीवन में ।
इस सूने जीवन में तो क्या,
खुशियाँ आना मुमकिन है ?
दुख का सागर गहराया ।
कैसे खुद को संभालेंगे
सोच के मन मेरा घबराया ।
आयी है बसंत मौसम में,
हरियाली है हर मन में ।
पतझड़ है तो बस इनके,
इस सूने से जीवन में ।
इस सूने जीवन में तो क्या,
खुशियाँ आना मुमकिन है ?
अविरल बहते आँसू इनके
मन मेरा देख के घबराया ।
छिन गया बचपन बच्चों का,
उठ गया सर से अब साया,
हुए अनाथ जो इक पल में
जर्जर तन मन की काया ।
मुश्किल जीवन बीहड राहें,
उस पर मासूम अकेले से,
कैसे आगे बढ़ पायेंगे,
सोच के मन मेरा घबराया ।
बूढे़ माँ-बाप आँखें फैलाकर,
जिसकी राह निहारा करते थे।
उसे "शहीद"कह विदा कर रहे,
खुद विदा जिससे लेने वाले थे ।
मन मेरा देख के घबराया ।
छिन गया बचपन बच्चों का,
उठ गया सर से अब साया,
हुए अनाथ जो इक पल में
जर्जर तन मन की काया ।
मुश्किल जीवन बीहड राहें,
उस पर मासूम अकेले से,
कैसे आगे बढ़ पायेंगे,
सोच के मन मेरा घबराया ।
बूढे़ माँ-बाप आँखें फैलाकर,
जिसकी राह निहारा करते थे।
उसे "शहीद"कह विदा कर रहे,
खुद विदा जिससे लेने वाले थे ।
बहती बूढ़ी आँखें जो अब
कौन पोंछने आयेगा ?
गर्व करे शहीदों पर पूरा देश
घरवालों को कौन संभालेगा ?
दो दिन की हमदर्दी में,
जीवन किसका निभ पाया ?
कैसे खुद को संभालेंगे ?
सोच के मन मेरा घबराया ।
जाने इनके जीवन में,
एक ऐसा ही मोड़ आया।
खुशियाँ कोसों दूर गयी,
दुख का सागर गहराया ।
गर्व करे शहीदों पर पूरा देश
घरवालों को कौन संभालेगा ?
दो दिन की हमदर्दी में,
जीवन किसका निभ पाया ?
कैसे खुद को संभालेंगे ?
सोच के मन मेरा घबराया ।
जाने इनके जीवन में,
एक ऐसा ही मोड़ आया।
खुशियाँ कोसों दूर गयी,
दुख का सागर गहराया ।
टिप्पणियाँ
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सादर आभार।
आंखे नम कर गया आपका दर्द में डूबा सार्थक सृजन।
गुम उनके अपनों का दर्द
आँसू,सिसकी,तड़प से परे
मातृभूमि के लिए उनके फर्ज़
----
सुधा जी,
कुछ अनकहे दर्द को आपने शब्द दिया जिसे वीरों के शहादत
की ओजमयी गाथाओं के महिमामंडन में अनदेखा कर दिया जाता है।
...
सस्नेह।
सस्नेह आभार ।