एक नयी सोच जब मन में आने लगी................ भावना गीत बन गुनगुनाने लगी......................
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हो सके तो समभाव रहें
जीवन की धारा के बीचों-बीच बहते चले गये । कभी किनारे की चाहना ही न की । बतेरे किनारे भाये नजरों को , लुभाए भी मन को , पर रुके नहीं कहीं, ब...
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दुपहरी बेरंग बीती सांझ हर रंग भा गया । ज़िन्दगी ! समझा तुझे तो मुस्कुराना आ गया । अजब तेरे नियम देखे,गजब तेरे कायदे । रोते रोते समझ आये,अब ह...
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एक कली जब खिलने को थी, तब से ही निहारा करता था। दूर कहीं क्षितिज में खड़ा वह प्रेम निभाया करता था । दीवाना सा वह भ्रमर, पुष्प ...
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पिता दिवस पर आज आपकी यादें लेकर, हुई लेखनी मौन बस आँखें हैं बरसती । वो बीता बचपन दूर कहीं यादों में झिलमिल झलक आपकी बस माँ की आँखों में मिलत...