सोमवार, 29 मई 2017

आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर...


gulmohar stump


खडा था वह आँगन के पीछे
लम्बे ,सतत प्रयास  और  अथक,
इन्तजार के बाद आयी खुशियाँ....
शाखा -शाखा खिल उठी थी,
खूबसूरत फूलों से....
मंद हवा के झोकों के संग,
होले-होले.....
जैसे पत्ती-पत्ती खुशियों का,
जश्न मनाती......
धीमी-धीमी हिलती-डुलती,
खिलते फूलो संग......
जैसे मधुर-मधुर सा गीत,
गुनगुनाती.........
खुशियाँ ही खुशियाँ थी हर-पल,
दिन भी थे हसीन......
चाँदनी में झूमती, मुस्कुराती टहनी,
रातें भी थी रंगीन......
आते-जाते पंथी भी मुदित होते,
खूबसूरत फूलोंं पर.....
कहते "वाह ! खिलो तो ऐसे जैसे ,
खिला सामने गुलमोहर"......

विशाल गुलमोहर हर्षित हो प्रसन्न,
देखे अपनी खिलती सुन्दर काया,
नाज किये था मन ही मन......
कितना प्यारा था वह क्षण !.........

खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....
लाख जतन के बाद भी---
ना बचा पाया अपनी खूबसूरत शाखा,
भंयकर तूफान से.......
अधरों की वह मुस्कुराहट अधूरी सी ,
रह गयी.....
जब बडी सी शाखा टूटकर जमीं पर ,
ढह गयी...........

तब अवसाद ग्रस्त, ठूँठ-सा दिखने लगा वह
अपना प्रिय हिस्सा खोकर.......
फिर हिम्मत रख सम्भाला खुद को नयी-
उम्मीद लेकर.........
करेगा फिर  अथक इंंतजार खुशियों का
नयी शाखाएं आने तक...।
पुनः सतत प्रयासरत  होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर..........









37 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

अधरों की वह मुस्कुराहट अधूरी सी ,
रह गयी.....
जब बडी सी शाखा टूटकर जमीं पर ,
ढह गयी...........
बहुत खूब.... सादर नमन आप को

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी जी !
सादर आभार...

शुभा ने कहा…

वाह!!सुधा जी ,बहुत खूब!!

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, शुभा जी !
सस्नेह आभार...

रवीन्द्र भारद्वाज ने कहा…

बहुत खूब......
बेहतरीन रचना ...आदरणीया

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, रविन्द्र जी...

व्याकुल पथिक ने कहा…

आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर...
अवसाद से उत्थान पर सार्थक रचना ,आपकी लेखनी को नमन ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद शशि जी !
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
सादर आभार।

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

वाह बहुत खूब सुधा जी

मन की वीणा ने कहा…

वाह सराहनीय रचना आशा का दामन थाम के अथक प्रयास रत। सुंदर अप्रतिम।

Meena Bhardwaj ने कहा…

पुनः सतत प्रयासरत होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर..........
बहुत सुन्दर...,

रेणु ने कहा…

प्रिय सुधा बहन - गुलमोहर के मध्यम से जीवन के उजले धुंधले पक्ष को बखूबी प्रस्तुत करती इस रचना में बहुत ही सुंदर संदेश समाहित है | ये पंक्तियाँ तोबहुत ही प्रेरक हैं -
पुनः सतत प्रयासरत होकर.....
आशान्वित हुआ फिर गुलमोहर.........बहुत खूब यही आशा जीवन को गिर कर उठने और पथ पर अग्रसर रहने के लिए उत्साहित करती ही | सस्नेह आभार और शुभ कामनाएं सखी |.

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, एवं आभार रितु जी...

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, कुसुम जी...
सस्नेह आभार।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद, एवं आभार मीना जी...

Sudha Devrani ने कहा…

सारगर्भित प्रतिक्रिया द्वारा उत्साहवर्धन हेतु हृदयतल से धन्यवाद रेनु जी...
सस्नेह आभार।

शैलेन्द्र थपलियाल ने कहा…

विशाल गुलमोहर हर्षित हो प्रसन्न,
देखे अपनी खिलती सुन्दर काया,
नाज किये था मन ही मन......बहुत
कितना प्यारा था वह क्षण !.........बहुत सुंदर रचना

'एकलव्य' ने कहा…

आवश्यक सूचना :

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Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत बधाई ध्रुव जी!
अवश्य शेयर करेंगे..।

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

Sudha Devrani ने कहा…

आपका हृदयतल से धन्यवाद, श्वेता जी !
सस्नेह आभार....

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद सखी!
सस्नेह आभार....

संजय भास्‍कर ने कहा…

खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट.....शुभकामनायें।

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ संजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका....।

Madhulika Patel ने कहा…

खुशियों की दोपहर अभी ढली नहीं कि -
दुख का अंधकार तूफान बनकर ढा गया,
बेचारे गुलमोहर पे....,,,, बहुत भावपूर्ण रचना ।आदरणीया शुभकामनाएँ ।

Sudha Devrani ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आ. मधुलिका जी!
ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

रेणु ने कहा…

आज आपके प्रोफाइल पर आपकी फोटो देखकर मन मुदित हो गया सुधा जी | आप बहुत प्यारी हैं | वैसी ही निश्छल जैसी आपके शब्दों में आपकी छवि दिखती थी | आपको बहुत बहुत प्यार मेरा ! आज एक रहस्य से पर्दा उठ गया कि हमारी प्यारी सुधा जी आखिर दिखती कैसी हैं | बेक बार फिर शुभकामनाएं और स्नेह आपको | यूँ ही निश्छल रह अपने सृजन में रत रहिये |

Sudha Devrani ने कहा…

स्नेहासिक्त सराहना पाकर अपार प्रसंन्नता हुई सखी!ब्लॉग की सैटिंग में कुछ कमियां बतायी जा रही है गूगल से...।ज्यादा तो मुझे समझ नहीं आ रही, जो समझ आयी उसे ठीक करने की कोशिश कर रही हूँ ।बस इसीलिए....
आपको भी मेरा ढ़ेर सारा प्यार। यूँ ही सानिध्य बनाए रखना सखी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अचानक ही आपकी पुरानी पोस्ट सामने आ गयी । वो भी गुलमोहर ..... मेरा प्रिय विषय ।
अवसाद झेलते हुए भी आशान्वित रहना ..... सुंदर विचार के साथ सुंदर कथ्य ।

Sudha Devrani ने कहा…

मेरी पुरानी पोस्ट पर आपका आना और स्नेहासिक्त आशीर्वचनों से मुझे प्रोत्साहित करना किसी पुरस्कार से कम नहीं है मेरे लिए।....तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद आपका।

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी.......
आपने लिखा....
हमने पढ़ा......
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें.....
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना.......
दिनांक 25/08/2021 को.....
पांच लिंकों का आनंद पर.....
लिंक की जा रही है......
आप भी इस चर्चा में......
सादर आमंतरित है.....
धन्यवाद।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर रचना

Sudha Devrani ने कहा…

आभारी हूँ आदरणीय कुलदीप जी मेरी रचना को पसंद कर मंच पर स्थान देने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद।

Sudha Devrani ने कहा…

तहेदिल से धन्यवाद आ.विभा जी!

Radhey ने कहा…

बहुत लाजवाब! गजब..! कमाल लिखा है....!

Radhey ने कहा…

बहुत लाजवाब! गजब..! कमाल लिखा है....!

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